फिर से लौट कर जो तुम आई हो सच कहो ये तुम हो या बस एक परछाई हो। फिर से लौट कर जो तुम आई हो सच कहो ये तुम हो या बस एक परछाई हो।
नदिया मैं,किनारा तू कश्ती मैं, सहारा तू। नदिया मैं,किनारा तू कश्ती मैं, सहारा तू।
तुम अभी से हार जाने की बात करते हो ! तुम अभी से हार जाने की बात करते हो !
इतनी खामोशी से लफ्ज़ों को संभाला है "पवन", हर जुबां पर तुम्हारी ग़ज़लें चल रही हैं। इतनी खामोशी से लफ्ज़ों को संभाला है "पवन", हर जुबां पर तुम्हारी ग़ज़लें चल र...
आज के इस दौर को शब्दों पर चरितार्थ करने की एक छोटी सी कोशिश की है। आज के इस दौर को शब्दों पर चरितार्थ करने की एक छोटी सी कोशिश की है।
समाज की बुराइयों से दूर एक बेहतर दुनिया का सपना देखती एक कविता समाज की बुराइयों से दूर एक बेहतर दुनिया का सपना देखती एक कविता